यह अलविदा आख़िरी अलविदा तो नहीं



इक सफ़र पर नये, निकले हैं हम
पर निशान कदमों के यहीं हैं मगर
याद करना हमें, बस लौट आएँगे
खुशी हो या हो गम की डगर ...


दूरियाँ रहेगी दरमियाँ तो भी क्या
साथ अपना यूँही रहेगा सदा
दोस्ती आपकी एक तोहफा हैं जो
लाख तॉहफो से भी हैं लगता बड़ा..



राहें और भी हैं मंज़िलें और भी
यह अलविदा आख़िरी अलविदा तो नहीं
यादों को मेरी तुम यूँही रखना जवां
गर ना भी रहे तो भी मिलेंगे कहीं ....


Comments

Unknown said…
uddniks read it using reliance net connect from wakad.....


both were in awe....!!!

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