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Wo valentine divas...

तडपते दिल को था उसका इंतजार तेज होता जेया रहा था प्यार कैसा बुखार चेहरा वही दिखता था बार बार आएगी वो, बस इतना था ऐतबार.... कहा था उसने,मिलूंगी मैं दोपहर दो बजे बैचैनि थी छाई,बेक़रारी मैं थे नैन सजे मुकाम पर आ बैठा मैं पूरे दो घंटे पहले हाथों मैं गुलाब और आँखें कॅरीयिंग ख्वाब सुनहले धीरे धीरे हमारी बैचैनि बढ़ने लगी दिल की मशीन नये सपने गढ़ने लगी घुमाया फोने हमने और पूछा.."डार्लिंग कब आओगी" इंतेज़ार की आग मैं भून कर क्या मुझे खाओगि..??? आवाज़ सुनकर उसकी, दिल पर प्यार बेसुंमार छाया "बस चंद घड़ियाँ और" सुनकर दिल को क़रार आया रोज़ की बात अलग थी, आज तो " सैंट वॅलिंटाइन दिवस" था आज तो रहता हैं हर दिल को इंतेज़ार किसी ना किसी का रोज़ी रोज़ी ड्रेस मैं इठलाती बलखाती वो आई... देखकर उसको दिल ने मेरे छलाँग लगाई गुलाब देकर उसे,गले मिलने को हमने हाथ बढ़ाए.. कुछ हुआ ऐसा की, चूर हुए वो, जो थे ख्वाब सजाए.. अब रोज़ का रंग केसरिया नज़र आया... "मारो इनको" कोई पीछे से चिल्लाया... चारों तरफ उठ रहे थे धनुष-बान और त्रिशूल आवाज़ एक ही सुनाई दी हुमको.."ज़िंदाबाद बजरंग